शिक्षक यहाँ खुद नहीं जानता, अच्छी भाषा सिखाएगा कौन,
मंत्रीजी तो खुद अनपढ़ है, अच्छे स्कुल यहाँ बनवाएगा कौन,
बच्चे वाट्सएप पर शिक्षा पाते है, तो स्कूल में पढ़ने जायेगा कौन,
अब ये देश का हाल क्या होगा, आप ही सोचिए, हम तो रहेंगे मौन।।
पता नहीं कब तक हिंदी भाषा इस ग्रह पर जीवित रह पाएगी। ( मुजसे तो कुछ ज्यादा ही जिएगी फिर खामखां परेशान होना मुनासिब नहीं ) 😉
हम चाहे अन्य कोईभी भाषा बोले-लिखे-पढ़े, एक प्रेम की भाषा ना भूले तबतक सब ठीक है। 🙂